सहकारिता विभाग राज्य शासन के अन्य विभागों से भिन्न एक ऐसा शासकीय विभाग है, जो प्रदेश के सहकारी सोसाइटियों के नियामक प्राधिकारी के रूप में कार्य करता है। विभाग का प्रमुख उद्देश्य प्रदेश में सहकारिता आंदोलन का विकास एवं विस्तार करना है। सहकारिता आंदोलन ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत कृषकों, कारीगरों, बुनकरों, वनोपज संग्राहकों, मछुवारों, दुग्ध उत्पादकों (पशुपालकों) विशेष रूप से अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, महिलाओं तथा अन्य कमजोर वर्ग के व्यक्तियों का सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान तथा शहरी क्षेत्रों में निवासरत व्यक्तियों की आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए उनके जीवन स्तर में सुधार हेतु ठोस प्रयास करता है।
सहकारिता विभाग छत्तीसगढ़ सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 1960 के अंतर्गत नियामक के रूप में सहकारी आंदोलन के घटक सहकारी सोसाइटियों का पंजीयन (रजिस्ट्रीकरण), लेखाओं की संपरीक्षा (अंकेक्षण), निरीक्षण, जांच, परिसमापन तथा पंजीयन का निरस्तीकरण करता है तथा सहकारी सोसाइटियों के बोर्ड, पदाधिकारियों व अन्य पदों के लिए राज्य सहकारी निर्वाचन आयोग के द्वारा निर्वाचन कराने के कार्य में समन्वयक की भूमिका का निर्वहन करता है। सहकारी सोसाइटियों में निर्वाचित बोर्ड के अस्तित्व में नहीं होने की स्थिति में पूर्वोक्त सहकारी सोसाइटियों के क्रियाकलापों का सुचारू रूप से संचालन हेतु निर्वाचन पर्यन्त आवश्यक व्यवस्था करना भी सहकारिता विभाग की जिम्मेदारी है। इस प्रकार सहकारिता विभाग सहकारी सोसाइटियों के नियामक प्राधिकारी के अतिरिक्त मित्र, दार्शनिक एवं मार्गदर्शक के रूप में भी कार्य करता है।
सहकारिता विभाग सहकारी सोसाइटियों से जुड़े हुए सदस्यों, पदाधिकारियों, अधिकारियों, कर्मचारियों एवं अन्य हितबद्ध पक्षकारों के मध्य उद्भूत विवादों का निपटारा करने हेतु सिविल न्यायालय के रूप में प्रकरणों की विधिवत सुनवाई करने के पश्चात् विधिसम्मत आदेश पारित कर पक्षकारों को न्याय प्रदान करने का भी कार्य करता है। विभाग के द्वारा न्यायालयीन प्रकरणों का निपटारा हेतु विचारण न्यायालय तथा अपील न्यायालय के रूप में आदेश पारित किया जाता है।
वर्तमान में राज्य शासन के द्वारा सहकारिता विभाग के माध्यम से प्रदेश के कृषकों को ब्याज अनुदान प्रदान किया जा रहा है। अल्पकालीन कृषि साख सहकारी संरचना सोसाइटियों के माध्यम से कृषकों को ब्याज मुक्त अल्पकालीन कृषि ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रदेश के प्राथमिक कृषि साख सहकारी सोसाइटियों के द्वारा समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन का महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहा है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत सहकारी सोसाइटियां कृषकों को कृषि ऋण के अलावा खाद-बीज, कीटनाशक दवाईयां एवं अन्य कृषि आदान वितरित करने का कार्यभी करती है। अनेक सहकारी सोसाइटियों के द्वारा सार्वजनिक प्रणाली अंतर्गत खाद्यान्न वितरण का भी कार्य किया जा रहा है। वर्तमान में प्रदेश में सहकारिता के क्षेत्र में विभिन्न सहकारी सोसाइटियों के द्वारा सदस्यों को साख (क्रेडिट) सुविधा प्रदान करने के अतिरिक्त उपभोक्ता, आवास, मत्स्य, डेयरी, बुनकर, खनिज, वनोपज, गन्ना / शक्कर उत्पादन इत्यादि क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा रहा है, जिससे न केवल ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित हो रहे हैं, वरन् समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े हुए शोषित एवं कमजोर वर्ग के व्यक्तियों का सर्वांगीण विकास का भी मार्ग प्रशस्त हो रहा है।
भारत सरकार के "सहकार से समृध्दि" की संकल्पना अंतर्गत प्रारंभ किये गये विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों को राज्य की सहकारी सोसाइटियों में भी लागू किया जा रहा है। इसी कड़ी में पैक्स हेतु मॉडल बॉयलाज के अंगीकरण से जहां सभी पैक्स सोसाइटियां बहुउद्देशीय पैक्स के रूप में परिवर्तित हुई हैं वहीं पैक्स कम्प्यूटराईजेशन द्वारा सोसाइटियों में सूचना प्रौद्योगिकी के समावेश से सदस्यों को कॉमन सर्विस सेन्टर जैसी सेवाएं प्रदान किया जाना संभव हो पाया है, इसी प्रकार प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केन्द्र के संचालन से सोसाइटियों द्वारा सस्ती दवाईयां दूरस्थ ग्रामीण अंचलों तक पहुंचाई जा सकेगी। इन सभी कार्यों से सोसाइटी के लिए आय में वृद्धि के लिए अतिरिक्त अवसर का सृजन होगा। भारत सरकार, सहकारिता मंत्रालय के द्वारा "सहकार से समृद्धि" अंतर्गत घोषित अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष (IYC-2025) का क्रियान्वयन किया जा रहा है।